नई दिल्ली, 23 दिसंबर 2025: भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली एक बार फिर सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2025 में अरावली पहाड़ियों की एक समान वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी है, जिसमें केवल उन भूमि रूपों को अरावली पहाड़ी माना जाएगा जो स्थानीय स्तर से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचे हैं। साथ ही, 500 मीटर की दूरी के अंदर दो या अधिक ऐसी पहाड़ियां होने पर उन्हें अरावली रेंज का हिस्सा माना जाएगा।
यह फैसला पर्यावरण मंत्रालय की अगुवाई वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों में अलग-अलग परिभाषाओं से उत्पन्न confusion को दूर करना था। कोर्ट ने नए खनन पट्टों पर अस्थायी रोक लगा दी है और पूरे अरावली क्षेत्र के लिए सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है।
हालांकि, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने इस परिभाषा पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि अरावली की अधिकांश पहाड़ियां 100 मीटर से कम ऊंची हैं, इसलिए यह नियम श्रृंखला के बड़े हिस्से को संरक्षण से बाहर कर सकता है। इससे खनन, निर्माण और अन्य गतिविधियां बढ़ सकती हैं, जो मरुस्थलीकरण, भूजल स्तर गिरावट और जैव विविधता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। राजस्थान और हरियाणा में प्रदर्शन हो रहे हैं, जहां लोग अभियान चला रहे हैं।
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह परिभाषा संरक्षण को मजबूत करती है और 90% से अधिक क्षेत्र अभी भी सुरक्षित रहेगा। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि कोई नई छूट नहीं दी गई है और अवैध खनन पर सख्ती जारी रहेगी। दिल्ली में तो खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है और उत्तरी भारत की जलवायु को संतुलित रखती है। इस विवाद से पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन की बहस फिर तेज हो गई है। आगे की सुनवाई और प्लान से स्थिति स्पष्ट होगी, लेकिन फिलहाल अरावली की सुरक्षा पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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अरावली पर्वत की 10 बड़ी बातें:
1.प्राचीनतम श्रृंखला: अरावली दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जिसकी उम्र 1.5 अरब वर्ष से अधिक है
2.भौगोलिक विस्तार: यह दिल्ली से शुरू होकर 670 किमी तक राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में फैली है।
3.उच्चतम शिखर: गुरु शिखर राजस्थान में स्थित है, जो 1,722 मीटर ऊंचा है
4.जैव विविधता: यहां विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जैसे तेंदुआ, लंगूर और कई पक्षी प्रजातियां।
5.जल संरक्षण: अरावली जल पुनर्भरण का महत्वपूर्ण स्रोत है और कई नदियों जैसे बनास, लूनी और साबरमती को पानी प्रदान करती है
6.मरुस्थलीकरण रोकथाम: यह थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है और राजस्थान की जलवायु को संतुलित रखती है।
7.खनिज संसाधन: यहां संगमरमर, ग्रेनाइट और अन्य खनिजों का भंडार है, जिससे खनन गतिविधियां होती हैं।
8.पर्यटन स्थल: माउंट आबू, उदयपुर और जयपुर जैसे क्षेत्र पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।73f027
9.पर्यावरणीय खतरा: अवैध खनन और शहरीकरण से श्रृंखला को खतरा है, जिससे मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है।
10.हालिया विवाद: सुप्रीम कोर्ट की नई परिभाषा से 90% क्षेत्र असुरक्षित हो सकता है, जिससे विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं


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