**जौनपुर जिला अस्पताल में घूसखोरी और पानी की किल्लत: सरकारी दावों की खोखली हकीकत**


*जौनपुर, 02 अगस्त 2025*: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला अस्पताल, जो क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख केंद्र माना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है बुधवार को सामने आई घूसखोरी की घटना और अस्पताल परिसर में पानी की गंभीर किल्लत। ये समस्याएँ न केवल अस्पताल की बदहाल स्थिति को उजागर करती हैं, बल्कि सरकार के "सबको स्वास्थ्य, सबको सुविधा" जैसे बड़े-बड़े दावों की पोल भी खोलती हैं।

पानी की किल्लत: बुनियादी सुविधाओं का अभाव**  

घूसखोरी की घटना के साथ-साथ, अस्पताल में पानी की कमी ने मरीजों और उनके परिजनों की परेशानियों को और बढ़ा दिया। बुधवार को अस्पताल के कई वार्डों में पीने के पानी की आपूर्ति बाधित रही, जिसके कारण मरीजों को बाहर से पानी खरीदना पड़ा। एक मरीज के परिजन रामू (बदला हुआ नाम) ने बताया, "अस्पताल में न तो पीने का पानी है, न ही शौचालयों में पानी। हम गरीब लोग हैं, हर चीज के लिए पैसे कहाँ से लाएँ?" अस्पताल प्रशासन ने इस कमी को "तकनीकी खराबी" का नाम दिया, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या लंबे समय से अनसुलझी है।


**सरकारी दावों की हकीकत**  

उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की ओर से आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे कार्यक्रमों के तहत जिला अस्पतालों को आधुनिक बनाने और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन जौनपुर जिला अस्पताल की स्थिति इन दावों को खोखला साबित करती है। भ्रष्टाचार और बुनियादी सुविधाओं की कमी न केवल मरीजों के स्वास्थ्य को जोखिम में डाल रही है, बल्कि आम जनता का सरकारी तंत्र पर भरोसा भी कम कर रही है। 


**स्थानीय लोगों की माँग: पारदर्शिता और जवाबदेही**  

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अनिल यादव ने कहा, "यह शर्मनाक है कि अस्पताल, जो गरीबों का सहारा होना चाहिए, वहाँ रिश्वत और अव्यवस्था का बोलबाला है। सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।" लोगों ने माँग की है कि अस्पताल में एक स्वतंत्र जाँच समिति गठित की जाए और भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्थायी व्यवस्था की जाए।


**अस्पताल प्रशासन का जवाब**  

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वे रिश्वत की शिकायतों की जाँच कर रहे हैं और पानी की समस्या को जल्द ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि "सीमित संसाधनों" के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं। 


**आगे क्या?**  

जौनपुर जिला अस्पताल की यह घटना एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है। सरकार के बड़े-बड़े दावों और वास्तविकता के बीच का अंतर मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन समस्याओं का स्थायी समाधान करेगी, या ये मुद्दे केवल कागजी दावों तक सीमित रह जाएँगे? 

जौनपुर, रिपोर्टर सौरभ 

हिंदी संवाद न्यूज़*

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