उतरौला बलरामपुर- उत्तर प्रदेश मत्स्य अधिनियम में एवं नियंत्रण नियमावली 1954 के नियम 1 में जिला मजिस्ट्रेट को दी गई, शक्तियों के तहत नियमावली कीअनुसूची ए में संदर्भित जनपद बलरामपुर में प्रवाहित राप्ती नदी एवं उससे सम्बन्धित नौखानों तथा अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों में मत्स्य बीज पकड़ने, नष्ट करने एवं शिकार माही पर दिनांक 01जून से 30 जुलाई तक मत्स्य शिकार माही पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहता है। इसी तरह 15  जुलाई से 31अगस्त तक मत्स्य फ्राई व फिंगर लिंग आकार 2-10 सेमी के मत्स्य बीज पकड़ने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। उक्त जानकारी सहायक मत्स्य निदेशक बलराम पुर दीपांशु व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेवती रमन चौधरी ने देते हुए बताया कि वर्षा ऋतु में भारतीय मेजर कार्प मछलियां तथा रोहू, कतला, नैन, व विदेशी कार्प, ग्रास कार्प, एवं सिल्वर कार्प सहित अन्य अधिकांश मछलियाँ प्रजनन करती हैं, इन मछलियों के संवर्धन व संरक्षण हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य अधि नियम 1948 की धारा 3(1) के तहत जलाश यों में मत्स्य शिकार माही पर निषेध करने के सम्बन्ध में राज्य को नियम बनाने की शक्ति दी गई है। जिसके अनु पालन में उतर प्रदेश मत्स्य विकास एवं नियंत्रण नियमावली 1954 अधिसूचित किया गया है, तथा इसके अन्तर्गत नियम 3  में व्यवस्था दी गई है कि नदियों व प्राकृतिक जल स्रोतों में दिनांक 15 जुलाई से लेकर 31 सितम्बर तक की अवधि में मत्स्य फ्राई व फिंगर लिंग आकार (2-10) सेमी के मत्स्य बीज एवं दिनांक 15 जून से लेकर 30  जुलाई तक की अवधि में प्रजनक मछलियों को पकड़ने,नष्ट करने एवं बेचने पर प्रतिबंध रहेगा। नदियों में प्रत्येक वर्ष 1 जून से लेकर 31 अगस्त तक मत्स्य आखेट प्रतिबंधित रहेगा। निर्दिष्ट अवधि में जो भी व्यक्ति नदियों/प्राकृतिक जल स्रोतों में मत्स्य अथवा मत्स्य बीज का अवैधानिक शिकार/ बिक्री करते हुए पकड़ा जाएगा उसके विरूद्ध नियमा नुसार दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

        हिन्दी संवाद न्यूज से
       असगर अली की खबर
        उतरौला बलरामपुर। 

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