मुख्यमंत्री ने नैमिषारण्य धाम, सीतापुर में श्री श्री श्री जगदम्बा राजराजेश्वरी स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा तथा नूतन देवालय के चित्शक्ति द्वार ‘प्रमुख द्वार’ के उद्घाटन महोत्सव में प्रतिभाग किया

संसाधनों के अभाव में भी यहां की प्राचीन अरण्य संस्कृति को पुनस्र्थापित करते हुए मां राजराजेश्वरी मंदिर, आश्रम व देवी के भव्य विग्रह की स्थापना, निश्चय ही प्रशंसनीय: मुख्यमंत्री

नैमिषारण्य की महिमा अपरम्पार, सभी धार्मिक ग्रंथों ने बड़ी श्रद्धा भाव के साथ इस पावन तीर्थ की महिमा का गान किया

शौनक आदि ऋषियों को सूत जी ने 18 पुराणों की कथा उपदेश यहीं पर दिया, भगवान वेदव्यास के नेतृत्व व उनके सानिध्य में हजारों ऋषियों ने यहां साधना की

धार्मिक आयोजन हम सभी को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते

नैमिषारण्य को पुरातन वैभव प्राप्त हो, यह धर्म के साथ अर्थ के हित में भी, यहां का पुरातन वैभव पुनस्र्थापित होने पर युवाओं को रोजगार मिलेगा

नैमिष तीर्थ के महत्व को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार इसे विकसित करने की कार्यवाही कर रही


लखनऊ: 21 फरवरी, 2024

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि लोक कल्याण का उद्देश्य अंततः राष्ट्र कल्याण होता है। राष्ट्र कल्याण का उद्देश्य भी लोक कल्याण से जुड़ा हुआ है। यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इन दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।
मुख्यमंत्री जी ने आज जनपद सीतापुर में नैमिषारण्य धाम स्थित श्री स्कन्दाश्रम में आयोजित श्री श्री श्री जगदम्बा राजराजेश्वरी स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा तथा नूतन देवालय के चित्शक्ति द्वार ‘प्रमुख द्वार’ के उद्घाटन महोत्सव में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसके पूर्व, उन्होंने मन्दिर में पूजन-अर्चन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी का स्वागत अंग वस्त्र एवं विभिन्न संतों के अनुभवों पर आधारित पुस्तिका प्रदान कर किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कई वर्षों तक नर्मदा के तट पर साधनारत रहे स्वामी षण्मुखानंद जी महाराज की साधना के प्रसाद एवं सिद्धि के रूप में आज श्री राजराजेश्वरी मंदिर व आश्रम हम सभी को देखने को मिल रहा है। उन्होंने श्री श्री श्री राजराजेश्वरी मंदिर के भव्य धार्मिक आयोजन में सहभागी बनने का अवसर देने के लिए स्वामी षण्मुखानंद पुरी जी महाराज एवं अन्य संतों का अभिनंदन करते हुए कहा कि नैमिषारण्य की महिमा अपरम्पार है। हमारे सभी धार्मिक ग्रंथों ने बड़ी श्रद्धा भाव के साथ इस पावन तीर्थ की महिमा का गान किया है। संत तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में ‘तीरथ वर नैमिष विख्याता’ के माध्यम से नैमिषारण्य की महिमा का वर्णन किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शौनक आदि ऋषियों को सूत जी ने 18 पुराणों की कथा और मर्म का उपदेश यहीं पर दिया था। भगवान वेदव्यास के नेतृत्व व उनके सान्निध्य में हजारों ऋषियों ने यहां साधना की थी। यहां की व्यास पीठ आज भी विख्यात है। 88,000 ऋषि मुनियों ने इसी स्थल पर साधना करके भारत की ज्ञान-विज्ञान की धरोहर को वैदिक ज्ञान के रूप में लिपिबद्ध करके हम सभी को एक विरासत के रूप में उपलब्ध करवाया था। देवासुर संग्राम में महर्षि दधीचि ने अपना अस्थि दान यहीं पर किया था। यहां पर स्थित माँ ललिता देवी शक्तिपीठ एवं चक्र तीर्थ की अपरम्पार महिमा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज एक नई कड़ी और एक नई मणि इस क्षेत्र में जुड़ने जा रही है। श्री राजराजेश्वरी मंदिर आश्रम के रूप में यह देश, समाज व लोगों को ऊध्र्वगामी, लोकाचार एवं लोक कल्याण के पथ पर उन्मुख करेगा। जो लोग देवी का अनुष्ठान करते हैं उन्हंे जगत जगदम्बा माँ राजराजेश्वरी सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धार्मिक आयोजन हम सभी को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। हमारा शास्त्र कहता है कि ‘धर्मेण हीनाः पशुभिः समाना’ अर्थात धर्म से हीन व्यक्ति व पशु में कोई अंतर नहीं है। धर्म केवल उपासना विधि नहीं है। धर्म हमको अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है। धर्म एक शाश्वत व्यवस्था है। इस शाश्वत व्यवस्था के माध्यम से हम लोग अनुशासन, सदाचार एवं कर्तव्य का पाठ पढ़ते हैं। इनसे जुड़े नैतिक मूल्य ही वास्तव में धर्म है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पंथ, संप्रदाय, एवं उपासना विधियां आएंगी-जाएंगी। लेकिन धर्म शाश्वत रहता है। सनातन धर्म इस सृष्टि का धर्म है। मानवता का धर्म है। जब तक सनातन धर्म है, विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। अगर सनातन धर्म पर खतरा आएगा तो विश्व मानवता पर भी खतरा आएगा। इसलिए विश्व मानवता को बचाना है, तो सनातन धर्म को बचाना होगा। सनातन धर्म का मूल, यज्ञ एवं ऋषि मुनियों की साधना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नैमिष तीर्थ के महत्व को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार इसे विकसित करने की कार्यवाही कर रही है। हमारा सौभाग्य है कि भारत की विरासत को एक नया स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जो कार्य देश में प्रारम्भ हुए वह अद्भुत है। काशी में काशी विश्वनाथ धाम, उज्जैन में महाकाल के महालोक का भव्य स्वरूप देखने को मिल रहा है। ऐसे ही उत्तराखण्ड में केदारपुरी व बद्रीनाथ धाम में भी पुनरुद्धार का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
अयोध्या में पांच सदी के बाद यह अवसर आया है की कोटि-कोटि सनातन धर्मावलम्बियों की आस्था को सम्बल प्राप्त हुआ है। भगवान श्री राम की तरह मर्यादा का पालन करते हुए न्यायालय के फैसले के अनुसार भारतवासियों ने जिस संयम का परिचय दिया वह दुनिया के लिए अनोखा उदाहरण है। हमारी पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि वह श्रीरामलला को विराजमान होते हुए देख रही है। अयोध्या के दिव्य दीपोत्सव में भी हम सक्रिय रूप से सहभागी बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ समाज के निर्माण व लोक कल्याण के कार्य सरकार के साथ मिलकर किये जाएं, तो परिणाम कई गुना बढ़ जाते हैं। इसी परिणाम आज हम सभी को देखने को मिल रहा है। नैमिषारण्य को पुरातन वैभव प्राप्त हो, यह धर्म के साथ अर्थ के हित में भी है। यहां का पुरातन वैभव पुनस्र्थापित होने पर युवाओं को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अब वहां का व्यापार कई गुना बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी भी अच्छे कार्य के संपादन से समाज का सभी तबका लाभान्वित होता है। यज्ञ होने पर सभी को लाभ होगा। इसलिए राष्ट्र निर्माण का जो अभियान प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश में चल रहा है। उसका उद्देश्य है कि हम सभी जाति, पंथ, वेशभूषा, खान-पान से ऊपर उठकर अपने देश के बारे में  सोचें। उन्होंने कहा कि वे धार्मिक इसलिए हैं कि उन्हें देश के लिए कार्य करना है। उनके लिए देश पहले है। जिस दिन सभी भारतवासी देश प्रथम के भाव के साथ कार्य करना प्रारंभ कर देंगे भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित होने से कोई रोक नहीं सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिन लोगों ने संसाधनों के अभाव में भी यहां की प्राचीन अरण्य संस्कृति को पुनस्र्थापित करते हुए मां राजराजेश्वरी मंदिर, आश्रम व देवी के भव्य विग्रह को स्थापित करने में अपना योगदान किया है, वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। इस पवित्र कार्य के साथ सरकार भी हर प्रकार का सहयोग करेगी।
कार्यक्रम को स्वामी षण्मुखानंद पुरी जी महाराज हीरापुर वाले एवं मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर साधु-संत, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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