उतरौला(बलरामपुर) किसानों को अपना कृषि उत्पादन को एक जगह पर बेचने के लिए मंडी नहीं है। कृषि मंडी न होने से किसान अपने कृषि उत्पादन को औने-पौने भाव पर बिचौलिए के हाथों बेचने पर मजबूर हैं।
लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी तहसील उतरौला में किसानों की सुविधा के लिए कोई कृषि मंडी नहीं है। तहसील उतरौला के स्थापना होने के बाद प्रदेश सरकार ने उतरौला में कृषि उत्पादन मंडी समिति उतरौला की स्थापना की थी। इसके स्थापना के बाद मंडी समिति में सचिव, लिपिक व टैक्स वसूलने वाले कर्मचारी तैनात रहे। इस कृषि उत्पादन मंडी समिति उतरौला का क्षेत्र उतरौला तहसील क्षेत्र के साथ गोण्डा जिले की गौरा चौकी बाजार रहा है। दो जिलों के किसानों से मंडी टैक्स की वसूली की जाती रही है वहीं क्षेत्र में लगभग एक दर्जन थोक गल्ला व्यापारी व फुटकर व्यापारी रहे हैं। इस तरह इस उतरौला क्षेत्र से करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष की आमदनी इसके टैक्स से होती रही है। वहीं किसान अपने कृषि उत्पादन को क्षेत्र के बाजारों में लाकर अच्छे दामों पर बेचते थे। इसके करोड़ों रुपए की प्रतिवर्ष की आमदनी को देखते हुए सरकार ने किसानों के लिए मंडी स्थल निर्माण के लिए कृषि उत्पादन मंडी समिति उतरौला को लगभग पन्द्रह वर्ष पहले सवा करोड़ रुपए का धन आवंटित कर दिया था। सरकार से धन मिलने पर कृषि उत्पादन मंडी समिति उतरौला के कर्मचारियों ने उतरौला कस्बे के बगल ग्राम चपरहिया में जमीन का चयन करके जमीन खरीदने के लिए सभी अभिलेख समेत अपनी रिपोर्ट शासन को स्वीकृति के लिए भेज दी थी। क्षेत्र के किसानों पर उस समय बजपात हुआ जब शासन के आदेश से कृषि उत्पादन मंडी समिति उतरौला बंद कर दिया गया और इसको जिला मुख्यालय बलरामपुर से अटैच कर दिया गया। बलरामपुर से एक कर्मचारी को विभाग ने यहां पर तैनात कर दिया है जो दूकानदारो से सरकारी टैक्स की वसूली करती है। बलरामपुर कृषि उत्पादन मंडी समिति इस क्षेत्र के किसानों को उसके उत्पाद बेचने के लिए कोई सुविधा नहीं दे रही है। मजबूरन किसान अपने उत्पादों को खुले बाजार में बिचौलिए के हाथों बेचने को मजबूर हैं।
किसान नेता मोहम्मद खलील शाह ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उतरौला में किसानों के उत्पादन को बेचने की सरकारी सुविधा दिलाने की मांग की है।
असगर अली
उतरौला
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