मैंने गोली चलाने से मना किया था-बाबिरी मस्जिद गिराने पर बोले थे कल्याण सिंह, आखिरी ईट गिरते ही नोटपैड मंगा लिख दिया था इस्तीफा 

          गिरजा शंकर गुप्ता (ब्यूरों) 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का स्वास्थ्य खराब होने के बाद उन्हें लखनऊ के संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में भर्ती कराया गया है। लगातार बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। कभी कल्याण सिंह की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती थी। वह कई अहम पदों पर रहे। साल 1992 में कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे और इसी दौरान अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया था।

ढांचा गिरने के साथ ही कल्याण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कल्याण सिंह पर इस दौरान लापरवाही के आरोप लगे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने तो उन पर पूरी साजिश रचने तक का भी आरोप लगा दिया था।
हाईकोर्ट के पूर्व जज एम.एस लिब्राहन ने इस पूरे मामले पर अपनी रिपोर्ट पेश की थी और इसमें कल्याण सिंह को अहम गुनहगार बताया गया था। जबकि वह अपनी भूमिका से इनकार करते रहे थे।

'एनडीटीवी' के शो 'चक्रव्यूह' में कल्याण सिंह ने कहा था, 'जिस रिपोर्ट को लिब्राहन साहब ने 17 साल में तैयार किया वो 70 दिन में तैयार हो सकती थी। यह रिपोर्ट कूड़ेदान में फेंकने लायक है। ढांचा गिराना बिलकुल साजिश नही थी। ये सैकड़ों साल से कुचली गई करोड़ों हिंदुओं की भावना की प्रतिक्रिया थी। हमने सुरक्षा के सारे प्रबंध किए थे और ये सच है कि उसके बाद भी ढांचा टूट गया। मैं मजबूत सीएम था। जिस तरह अमेरिका के राष्ट्रपति केनेडी और श्रीमती गांधी की सुरक्षा के पक्के इंतजाम होने के बाद भी घटना घटित हुई। ऐसा ही 6 दिसंबर 1992 को हुआ।'

था, 'लिब्राहन साहब ने कहा कि इसके पीछे साजिश थी जो कि पूरी तरह गलत है। मैंने अधिकारियों से साफ कह दिया था कि ढांचे की सुरक्षा के लिए जो भी करना हो वो करिए। हां, मैंने नहीं दिया था। क्योंकि इससे हजारों लोग मारे जाते और ढांचा तो फिर भी नहीं बचता। न मुझे ढांचा गिरने का कोई खेद है, न कोई प्रायश्चित है। मेरी इच्छा राम मंदिर की थी। मैं कहता हूं 6 दिसंबर 1992 की घटना शर्म की नहीं बल्कि राष्ट्रीय गर्व की बात है।'

कल्याण सिंह के प्रधान सचिव रहे योगेंद्र नारायण ने 'बीबीसी' को बताया था, 'कल्याण सिंह ने गोली चलाने की अनुमति नहीं दी तो डीजीपी ये सुन कर वापस अपने दफ़्तर लौट गए थे। जैसे ही बाबरी मस्जिद की आखिरी ईंट गिरी, कल्याण सिंह ने अपना राइटिंग पैड मंगवाया और अपने हाथों से अपना त्याग पत्र लिखा और उसे लेकर खुद राज्यपाल के यहाँ पहुंच गए थे।

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