जवाब : कोरोना के सभी मरीजों में ब्लैक फंगस नहीं होता। अनियन्त्रित मधुमेह, कैंसर के रोगी, जो तीन सप्ताह से अधिक वेंटिलेटर पर रहे हों, जिन्होंने अधिक मात्रा में स्टेरायड का सेवन किया हो या जिन्हें तीन सप्ताह से अधिक ऑक्सीजन दिया गया हो, उनमें इसका खतरा होता है।
सवाल : ब्लैक फंगस के प्रारंभिक लक्षण क्या ?जवाब : ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) के लक्षण कई हैँ। इसमें नाक का जकड़ना, सिरदर्द, आंख, नाक व चेहरे में दर्द होना, धुंधला दिखना या अचानक रोशनी समाप्त होना, डबल दिखार्इ देना, अचानक आंख की ऊपरी पलक का गिरना (टोसिस), आंख का बाहर की तरफ निकल आना (प्रोप्टोसीस), नाक से दुर्गंध आना, नाक से काले रंग या रक्तरंजित बलगम का आना, एक तरफ का चेहरा व पलक का सूजना सहित अन्य है।
सवाल : क्या ब्लैक फंगस जानेलवा होते हैं ?
जवाब : ब्लैक फंगस जानलेवा बीमारी है, मगर समय से रोग की पहचान होने तथा रोग की पुष्टि होने पर तुरन्त उचित इलाज प्रारम्भ कर देने से रोगी की जान बचार्इ जा सकती है। म्यूकर माइकोसीस की मृत्यु दर 30-50 प्रतिशत है।सवाल : ब्लैक फंगस की पुष्टि कैसे होती है?
जवाब : ब्लैक फंगस के लक्षण वाले रोगियों के निदान (डायग्नोसिस) के लिए साइनस, आर्बिट व ब्रेन का सीटी स्कैन तथा एमआरआर्इ अवश्य कराना चाहिए। फंगस की पहचान के लिए ‘इण्डोस्कोपी विधि से डीप नेजल स्वाब लिया जाता है। साइनस व आर्बिटल बायोप्सी भी ले सकते हैं। ब्लड टेस्ट द्वारा ‘डी-ग्लूकान व ‘गैलेक्टोमैनन का स्तर जांचते हैंl
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