अपनों की जिंदगी बचाने की उम्मीद लिए पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों से रोजाना बहुत से लोग मरीज लेकर सर सुंदरलाल अस्पताल (बीएचयू) पहुंच रहे हैं लेकिन यहां आने के बाद दिल दहला देने वाली चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। बुधवार को गाजीपुर के रेवतीपुर से बीएचयू इमरजेंसी रेफर किए गए मरीज को लेकर आने वाले युवक आलोक के साथ भी कुछ ऐसा हुआ। 

आलोक राय ने बाताया कि वह सुबह साढ़े छह बजे बीएचयू इमरजेंसी पहुंच गए थे। डाक्टर को रेफर पेपर दिखाया। मरीज को भर्ती करने की जगह डॉक्टर ने कहा बेड खाली नहीं है। कहीं और जाओ। आलोक को कुछ समझ में नहीं आया। वह इमरजेसी वार्ड में चला गया। कुछ देर तक प्रतीक्षा करने के बाद बेड नंबर 79 का मरीज जनरल वार्ड में शिफ्ट हुआ तो वह उसी बेड पर सो गए।

उन्होंने फोन करके अपने दूसरे साथी को सूचना दी जो उनकी मां निर्मला राय को लेकर उस बेड तक पहुंचा। इसके बाद उन्होंने जाकर डॉक्टर को बताया कि मां को बेड पर लेटा दिया है। दवा शुरू कराइए। डाक्टर ने पर्चा लेकर रख लिया लेकिन कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की। करीब दो घंटे बीत चुके थे। निर्मला राय सिर्फ बेड पर लेटी रहीं। इसी बीच उन्हें सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गई। आलोक ने डाक्टर से ऑक्सीजन लगाने को कहा तो जवाब मिला ऑक्सीजन नहीं है। उसने बताया कि बगल के बेड पर ऑक्सीजन सिलेंडर है तो डाक्टर ने कहा उसका फ्लोमीटर नहीं है।आलोक फ्लोमीटर की तलाश में लंका की दवा दुकानों पर भटका लेकिन उसे फ्लोमीटर नहीं मिला। इस बीच उसने कोविड कमांड सेंटर फोन किया तो उसे इमरजेंसी के बाहर बने हेल्प डेस्क पर जाने की सलाह देकर फोन रख दिया गया। आलोक को परेशान देख एक दूसरे मरीज के तिमारदार ने उसे सामाजिक कार्यकर्ता योगी आलोकनाथ का नंबर दिया। आलोकनाथ के सहयोग से रवींद्रपुरी स्थित एक निजी चिकित्सालय में बेड बुक कराया गया तब आलोक अपनी मां को बीएचयू इमरजेंसी से लेकर वहां पहुंचा। शाम तक उसकी मां की स्थिति यथावत बनी हुई थी।  

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