मानव जीवन का परम लक्ष्य है मोक्ष की प्राप्ति - अंकुश जी महाराज
नगर रामपुरा में चल रही दिव्य श्री मद् भागवत कथा महोत्सव में जनपद औरैया से पधारे गोलोक बासी पूज्य संत स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के वरद् कृपा पात्र शिष्य विख्यात कथा बाचक आचार्य अंकुश जी महाराज ने तृतीय दिवस की कथा में जड भरत की कथा सुनाते हुए बताया कि इस संसार में जो भी कुछ है बो परमात्मा का ही दिया हुआ है फिर हम क्यौ ये तेरा ये मेरा के चक्कर में पडकर अपने जीवन में एक दूसरे से विद्रोह करने पर तुले हुए है प्रत्येक व्यक्ति परमात्मा की अनूठी संतान है उस जैसा ना कोई हुआ है ना कोई होगा भगवान समान रूप से सभी को कुछ ना कुछ विशेष देता है फिर भी हम मनुष्य उस पर दोसा रोपण करते है मुझकों यह ना दिया मुझको वह ना दिया लेकिन यह नहीं सोच पाते कि परमात्मा ने हमे वेष कीमती मनुष्य तन दे दिया अगर यह भी ना देता तो हम उसका क्या कर लेते आज मनुष्य अपने कर्तव्यों से विमुख होकर अधर्म के मार्ग पर चल रहा है जिसका परिणाम ही संसार में कोरोना नामक बीमारी है हमे मानव जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष्य की ओर अग्रसर होना ही पड़ेगा तभी प्राणी मात्र का कल्याण संभव है पूज्य श्री ने महाभारत की कथा सुनाते हुये कहा हमें परमात्मा से दुख मांगना चाहिए हम दुख में ही परमात्मा का भजन करते है कथा में आचार्य जी ने कहा कि कुंती अपने जीवन के प्रारंभ काल से लेकर सारे जीवन में दुखो के सागर डूबी रही लेकिन परमात्मा के चरणों का आश्रय नहीं छोड़ा परिणाम स्वरूप अंत मेंV परम पद मोक्ष की प्राप्ति हुई इस अवसर पर परिक्षित राजा सिंह एवंगंगा सिंह राजावत,भानु परिहार, बालट्टर सिंह आदिविशाल जनमानस उपस्थित रहा
जालौन से अनिल कुमार की रिपोर्ट।
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