NCR News:गुड़गांव में 40 हजार एक्टिव पेशेंट हैं, जिनमें से 36 हजार पेशेंट होम आइसोलेट किए गए हैं, लेकिन इनमें से 10 हजार पेशेंट ऑक्सीजन के सिलेंडरों के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से होम आइसोलेट पेशेंट के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं की जा रही है। वहीं आशा वर्कर्स को दी गई दवाइयों की जिम्मेवारी भी नहीं निभाई जा रही है। ऐसे में होम आइसोलेट पेशेंट को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। जिससे कोरोना के चलते जो मरीज घरों में आइसोलेट हैं। उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर उन्हें दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही हैं। वैसे तो जिला प्रशासन की ओर से होम आइसोलेट पेशेंट के लिए डॉक्टरी सलाह के लिए जूम एप पर कंसलटेंसी कराने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन दवाई के बारे में आशा वर्कर्स द्वारा पूछा तक नहीं जा रहा है। जबकि पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने पर पेशेंट को आशा वर्कर्स से दवाई दिए जाने की बात कही जा रही है, लेकिन कहीं कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।घरों में आइसोलेट मरीजों के लिए ऑक्सीजन स्तर नीचे जाने के कारण अस्पताल में जहां बेड सुविधा नहीं मिल पा रही है। वहीं ऐसे मरीजों को उनके परिजनों की तरफ से घरों में ही आइसोलेट कर इलाज दिया जा रहा है, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा संकट ऑक्सीजन की आपूर्ति का है। वहीं डाक्टरों का कहना है कि मरीजों को दिन में चार से पांच बार भाप लेने चाहिए, जिससे स्वत: ही मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 95 फीसदी से अधिक रहेगा। जबकि कोरोना पॉजिटिव मरीजों को पहले हौसला बढ़ाने के लिए काउंसलिंग तक की जा रही थी। लेकिन कहीं भी काउंसलिंग नहीं की जा रही है और पूरी तरह पेशेंट को उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया है।

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