भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण : सैफ अली


सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता के प्रणेता : अनिल कुमार गुप्ता

स्वतंत्रता की लड़ाई में सरदार पटेल का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है : मनीष कुमार सिंह


उतरौला (बलरामपुर)
उतरौला बाजार के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान टाइनी टाट्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में सरदार वल्लभभाई पटेल जी के जयंती को एकता दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय में पेंटिंग प्रतियोगिता और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। जिसमे विद्यालय की छात्रा सिमरन, मुबस्सिरा, हुदा, आंचल, मनीषा,  मनतशा व मानसी तथा छात्र प्रतीक ने पेंटिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया तथा प्रतीक्षा, सिद्धि त्रिपाठी, साबिया, रहनुमा, संध्या, खुशी, कोमल, नीतू, शिवानी, मारिया सिद्दीकी, आशुतोष, प्रिया व सेजल आदि ने निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम सरदार वल्लभभाई पटेल जी के चित्र पर विद्यालय के डायरेक्टर सैफ अली द्वारा माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के डायरेक्टर सैफ अली ने कहा कि भारत ने सदैव ही देश और दुनिया को वसुधैव कुटुंबकम् का मंत्र दिया है। हमारे हजारों साल पुराने शास्त्रों तथा पुराणों में भी वसुधैव कुटुंबकम् के महत्व को बताया गया है जिसका अर्थ है कि विश्व एक परिवार है। भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना को व्यवहार में लाने के लिए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। 
सरदार पटेल लौह पुरुष के रूप में जाने जाते हैं, तथा उन्होंने आजादी के समय 562 रियासतों को एकजुट करके एक संघ का रूप दिया, जिसे आज हम सब भारत के नाम से जानते हैं। इसके अतिरिक्त भारत बहु-धर्मीय, बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है, यहाँ पर अनेक संस्कृति और धर्म के लोग आपसी सौहार्द और सदभाव से रहते हैं, हम कह सकते है की भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण है। विश्व के किसी भी अन्य देश में इतनी सांस्कृतिक भिन्नताएं नहीं मिलेगी जितनी हमारे देश में हैं। विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि आज लौह पुरुष, राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार, भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। जब भारत आजाद हुआ तब हमारा देश छोटी बड़ी देशी रियासतों में बंटा हुआ था। इन्हें हिंदुस्तान में मिलाना बेहद जरूरी था जो कि एक चुनौतिपूर्ण कार्य था। कई रियासतें भारत में न मिलकर खुद को अलग स्वतंत्र रखना चाहती थीं। सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने देश के एकीकरण में बेहद अहम भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रणेता माना जाता है।सरदार पटेल अपनी बेहतरीन नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताओं के लिए भी जाने जाते थे। पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। 
विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष कुमार सिंह ने सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटे और चौथे नंबर पर थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा का प्रमुख स्त्रोत स्वाध्याय था। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और उसके बाद पुन: भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की।सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पहले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।
सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजाद भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है।
असगर अली
उतरौला 

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