औरैया // कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनन्त कुमार ने बताया कि मटर की खेती विभिन्न प्रकार की मृदा में की जा सकती है वैज्ञानिक विधि से खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं मटर की अगेती खेती के लिए अक्तूबर माह सबसे उपयुक्त समय होता है खरीफ की फसल की कटाई के बाद भूमि की जुताई हल से दो तीन बार करें जुताई करके पाटा लगाकर भूमि तैयार कर लें अच्छे अंकुरण के लिए भूमि में नमी होना जरूरी है दूरी और बुआई के लिए बीजों के आकार और बुआई के समय के अनुसार बीज दर अलग-अलग हो सकता है समय पर इसकी बुआई के लिए 70 से 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए है पछेती बुआई में 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज होना चाहिए देसी हल जिसमें पोरा लगा हो या सीड ड्रिल से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई करनी चाहिए बीज की गहराई 5 से 7 सेंटीमीटर रखनी चाहिए मटर की फसल लगभग 135 से 150 दिनों में पकती है एक हफ्ते धूप में सुखाने के बाद बैलों से मड़ाई करानी चाहिए रोग और कीट प्रबंधन कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि चांदनी रोग पौधों पर एक सेंटीमीटर व्यास के बड़े बड़े गोल बादामी दाग हो जाते हैं तीन ग्राम थीरम की दवा प्रति किग्रा बीज की दर से मिलाकर उपचार करें रतुआ रोग के कारण पत्तियाँ मुरझा कर गिर जाती हैं जिससे बाद में पौधा सूखकर मर जाता है अगेती फसल बोने से रोग का असर कम होता है अवरोधी प्रजाति मालवीय मटर 15 प्रयोग करें किसानों को हमेशा अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करना चाहिए बीज को हमेशा अधिकृत दुकानदार या कृषि विज्ञान केन्द्र से ही खरीदें और उसकी पक्की रसीद जरूर लें ये आपके बीज के प्रमाणन को दर्शाता है ज्यादातर दुकानदार बिना बिल के ही किसानों को घटिया गुणवत्ता वाला बीज बिक्री कर देते है जो किसानों के घाटे का कारण बनता है।

ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव 

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