न्याय के संघर्ष में भारत सदैव तिब्बत के साथ है। तिब्बत की आजादी केवल तिब्बत ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह कहना है तिब्बती मामलों के विशेषज्ञ बीआर. कौंडल का। वह रविवार को भारत-तिब्बत समन्वय संघ की ओर अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस पर ‘तिब्बत के लिए न्याय विषयक वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।देश-विदेश के 140 स्थानों से जुड़े 232 लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की तत्कालीन सरकार ने चीन को वीटो पावर दिलवाने में जो सहयोग किया वह अब हमारे लिए महिषासुर बन चुका है। हमें इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाना चाहिए। यूपी लोक सेवा अधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि चीन तिब्बत पर अनधिकृत कब्जा करके वहां के संसाधनों का भी शोषण कर रहा है। संघ प्रचारक रामाशीष ने कहा कि चीन केवल बौद्ध नहीं बल्कि पूरी दुनिया के अध्यात्म का शत्रु है। तिब्बतियन सुप्रीम जस्टिस कमीशन की पूर्व ज्यूरी नामग्याल सेकी ने कहा कि चीन तिब्बती लोगों का सांस्कृतिक नरसंहार कर रहा है। भारत-सरकार के एडीशनल सॉलिसिटर जनरल शशिप्रकाश सिंह ने कहा कि चीन द्वारा तिब्बत के लोगों पर किए जा रहे अत्याचार को अंतरराष्ट्रीय फोरम पर उठाना ही पड़ेगा।

अधिवक्ता परिषद के राज्य महामंत्री अश्वनी कुमार त्रिपाठी, अनीश श्रीवास्तव, वजय मान आदि ने विचार व्यक्त किए। हेमेंद्र तोमर, राष्ट्रीय महामंत्री अरविंद केसरी, डॉ अमरीक सिंह ठाकुर, अजीत अग्रवाल, विवेक सोनी,भूपेंद्र प्रताप सिंह रिंटू, राकेश मौर्या, शिवचरण अग्रवाल, नवीन दूबे, प्रसाद दीक्षित,अतिन मोदी, आभा सिंह ने भी विचार व्यक्त किए।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने