बच्चा अगर वेंटीलेटर पर है तो उसे अचानक नहीं हटाएं। पहले बच्चे का एसेसमेंट और ट्रॉयल करें। ये बातें आईएमएस बीएचयू के बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रो. अभिषेक अभिनय ने बुधवार को रेजीडेंट और इंटर्न को दी जा रही ट्रेनिंग के आखिर दिन कही।उन्होंने कह कि बच्चे को वेंटीलेटर से हटाने से पहले देखें कि पहले जो बीमारी थी उसमें सुधार कितना है। शरीर का अंग ठीक से काम कर रहा है कि नहीं। बच्चे को होश आने लगे तब उसे ब्रिथिंग ट्रॉयल देना जरूरी है। ब्रिथिंग ट्रॉयल में स्पोंटेनियस ब्रीथिग ट्रॉयल मशीन (एसबीटी) पर रखें। देखें कि बच्चा खुद से कितना सपोर्ट कर रहा है और मशीन का कितना सपोर्ट लेना पड़ रहा है। एसबीटी पर कम से कम तीन बार दो से तीन घंटे रखें। बच्चा जब नॉर्मल हो जाए तो उसे वेंटीलेटर से हटाएं। इसके साथ ही कम से कम 24 घंटे तक बच्चे की निगरानी करें। वहीं प्रो.सुनील राव ने छात्रों को एमआईसएसी और शॉक के बारे में बताया। डॉ. अंकुर सिंह ने बच्चों में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) के बारे में बताया। पीडियाट्रिक विभाग में रेजीडेंट और इंटर्न की तीन दिवसीय ट्रेनिंग पूरी हो गई। अब नर्सों को ट्रेनिंग दी जाएगी। हालांकि अभी तारीख तय नहीं हुई है।


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