*मकान ढहाने के मामले में फंसे कोतवाल, लाइन हाजिर*
करनैलगंज (गोंडा)। कोतवाली का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है। कभी खनन मामले को लेकर पुलिस की कार्यशैली चर्चा में रही तो कभी घूसखोरी के मामले ने तूल पकड़ा। इस बार एक मकान ढहाए जाने का मामला शासन तक पहुंचा तो कोतवाल मनीष जाट को लाइन हाजिर करना पड़ा।
इसके पहले कोतवाल राजनाथ सिंह घूसखोरी के मामले का ऑडियो वायरल होने पर निलंबित किए गए थे। विवादों से पुलिस की कार्यशैली हमेशा रही है। यहां पर सत्ता के दबाव में काम करना इस बार कोतवाल को भारी पड़ गया है। माना जा रहा है कि इस बार कोतवाल मनीष के विरुद्ध कार्रवाई तब हुई जब आला कमान से नाराजगी जताई गई।
करनैलगंज कोतवाली लगातार विवादों में घिरी रही है। दो वर्षों में 7 कोतवाल बदले जा चुके हैं। दो वर्ष पहले करनैलगंज कोतवाली में तैनात रहे कोतवाल वेद प्रकाश श्रीवास्तव के बाद लगातार कोतवाल की सीट डगमगाती रही। श्रीवास्तव दो वर्ष पहले अवैध बालू खनन के मामले में लाइन हाजिर किए गए थे। वे करीब डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक यहां तैनात रहे।
उसके बाद अशोक कुमार सिंह को यहां का कोतवाल बनाया गया। जो फरवरी 2019 तक रहे। उसके बाद राजेश कुमार सिंह को कमान सौंपी गई। वह दिसंबर 2019 तक रहे। उनके हटने के बाद केके राणा को तैनाती मिली। जो मात्र 4 महीने का कार्यकाल पूरा किए।
केके राणा के हटने के बाद अपराध निरीक्षक रहे सुधीर कुमार सिंह ने एक माह कोतवाली का चार्ज देखा। उसके बाद मई महीने में राजनाथ सिंह को करनैलगंज कोतवाली की कमान सौंपी गई थी। जिन्हें पुलिस अधीक्षक ने रिश्वत का ऑडियो वायरल होने पर निलंबित कर दिया। लगातार दो वर्ष से अस्थिरता के चलते यहां तैनात होने वाले प्रभारी निरीक्षकों की कुर्सी डगमगाती ही रही है।
पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने कोतवाल राजनाथ सिंह को निलंबित करने के एक माह बाद मनीष कुमार जाट को करनैलगंज थाने की कमान सौंपी थी। कोतवाल मनीष कुमार जाट की कार्य शैली को देखते हुए लोगों का मानना था की अब ये कुर्सी इतनी जल्दी नहीं डगमगाएगी।
मगर ऐसा नहीं हुआ और लगभग तीन माह में ही कोतवाल मनीष जाट को पुलिस अधीक्षक ने बुधवार की रात्रि लाइन हाजिर कर दिया। सूत्रों से पता चला है कि कोतवाल द्वारा विवेचना के दौरान एक गांजा तस्कर का नाम निकालने और एक जमीन पर हुए कब्जे को लेकर पुलिस अधीक्षक ने ये कार्रवाई की है। हालांकि अब इस कोतवाली में एक अदद नए कोतवाल की तलाश है। वहीं यहां के माहौल को देखकर कोई भी इंस्पेक्टर इस कोतवाली में पोस्टिंग लेने से कतरा रहा है।
गोंडा ब्यूरो सूरज कुमार शुक्ला की रिपोर्ट
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