मुख्यमंत्री ने जनपद श्रावस्ती में श्री दिगम्बर जैन
मन्दिर परिसर में नवनिर्मित मन्दिर का लोकार्पण किया

नये भारत का नया उ0प्र0 अत्याचार, अनाचार, दुराचार, शोषण
और किसी भी प्रकार के उपद्रव को बर्दाश्त नहीं करता : मुख्यमंत्री

उ0प्र0 अब उपद्रव की नहीं, उत्सव की भूमि बन गया है

हर बहन, बेटी, व्यापारी व नागरिक को सुरक्षा की गारंटी सरकार दे रही

हम प्रत्येक नागरिक का सम्मान करेंगे, विकास करेंगे, विरासत को आगे बढ़ाएंगे,
यदि कोई सुरक्षा में सेंध लगाएगा, तो सरकार उससे सख्ती से निपटने का कार्य करेगी

उ0प्र0 की धरती पर 24 जैन तीर्थंकरों में 16 जैन तीर्थंकर अवतरित हुए

जैन तीर्थंकरों की पावन परम्परा कठिन
साधना, तप व संयम से उपजी सिद्धि पर आधारित

लखनऊ : 27 सितम्बर, 2025

     मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि नये भारत का नया उत्तर प्रदेश अत्याचार, अनाचार, दुराचार, शोषण और किसी भी प्रकार के उपद्रव को बर्दाश्त नहीं करता है। उत्तर प्रदेश अब उपद्रव की नहीं, उत्सव की भूमि बन गया है। हर बहन, बेटी, व्यापारी, नागरिक को सुरक्षा की गारंटी सरकार दे रही है। हर व्यक्ति की सुरक्षा और सम्मान का नैतिक दायित्व सरकार का है। सरकार उस कार्य का निर्वहन कर रही है। हम प्रत्येक नागरिक का सम्मान करेंगे, विकास करेंगे, विरासत को आगे बढ़ाएंगे। यदि कोई सुरक्षा में सेंध लगाएगा, तो सरकार उससे सख्ती से निपटने का कार्य भी करेगी क्योंकि धर्म यह कहता है। ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ इसकी प्रेरणा देता है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद श्रावस्ती में श्री दिगम्बर जैन मन्दिर परिसर में नवनिर्मित मन्दिर के लोकार्पण अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रावस्ती तृतीय जैन तीर्थंकर भगवान सम्भवनाथ की पावन धरा है। यह हमारा सौभाग्य है कि उत्तर प्रदेश की धरती पर 24 जैन तीर्थंकरों में 16 जैन तीर्थंकर अवतरित हुए हैं। अयोध्या और काशी जैन तीर्थंकरों की पावन धरा के रूप में विख्यात हैं। भगवान ऋषभदेव से भगवान महावीर तक 24 जैन तीर्थंकरों की पावन परम्परा कठिन साधना, तप व संयम से उपजी सिद्धि पर आधारित है। जैन परम्परा से जुड़े साधु-संतों व अनुयायियों ने अपनी साधना व तप से इसको बनाया है। हम जीवन को शुद्ध बनाकर, तपाकर जन्म-जन्मान्तर और चराचर जगत के रहस्यों का उद्घाटन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या के पहले राजा भगवान ऋषभदेव से होते हुए भगवान श्रीराम तक सनातन परम्परा आगे बढ़ी और उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए भगवान श्रीराम के बड़े पुत्र लव ने श्रावस्ती को अपनी राजधानी बनाकर, इस क्षेत्र को नई गति दी थी। भारत की सनातन परम्परा ने हमेशा इस बात पर विश्वास किया कि धर्म के अलग-अलग रूप हो सकते हैं, लेकिन लक्ष्य सबका एक है। उस लक्ष्य तक पहुंचने के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं। उन मार्गों का अनुसरण करते हुए जैन अनुयायियों ने भारत की सनातन परम्परा का पालन करते हुए उसे आगे बढ़ाने में हमेशा अपना सक्रिय सहयोग दिया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शांति और संयम का परिचय न देने वाले और थोड़ा सा वैभव आने पर समाज की शांति, सौहार्द को भंग करने का कुत्सित प्रयास करने वालों के लिए सनातन परम्परा में भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण उदाहरण हैं। भगवान श्रीराम ने कहा था कि ‘निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह, सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह’। अर्थात श्रीराम जी ने अपनी भुजाओं को उठाकर प्रण किया कि वह इस धरती को राक्षस विहीन कर देंगे।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे’। अर्थात सत्पुरुषों की रक्षा करने के लिए, दुष्कर्म करने वालों दुष्टों के विनाश के लिए और धर्म की पुनः स्थापना के लिए कार्य किया जाए। सज्जन शक्ति धर्म के पथ का अनुसरण करके महापुरुषों की वाणी का अनुसरण करके लोक कल्याण के पथ पर अपने आप को अग्रसर करके लगातार कार्य कर रही है। और दुर्जन शक्ति दूसरों को चैन से नहीं बैठने देती। सब कुछ हड़पना चाहती है। लोगों पर अत्याचार व शोषण करना चाहती है।

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