पति का शव लेकर ससुराल से मायके तक दौड़ती रही पत्नी, नहीं मिला कोई सहारा


गोंडा।  इस कोरोना रूपी भयानक संक्रमण काल मे अपने किस तरह बेगाने हो जाते हैं और बेगाने कैसे भगवान बनते है ये बराबर देखने को मिल रहा है ।इसी कड़ी में एक व्यक्ति संजय की कोरोना संक्रमण से हुई मौत के कारण अकेली पत्नी को किसी ने लाश उतारने तक मे कोई सहारा तक नही दिया जलाने और सहयोग की बात कौन करे । पीड़िता को उसके ससुराल व मायके वालों ने भी पति की मौत कोरोना से होने के कारण किनारा कर लिया। हालत यह हो गई मोहल्ले में शव को ट्रॉली से उतारने वाला कोई नहीं तैयार हुआ। आखिरकार अकेली महिला शव को लेकर मायके चली गई। मगर वहां भी मदद नहीं मिली।
मामला
इंटियाथोक गांव का है यही के
पेशे से इलेक्ट्रीशियन संजय वर्मा इटियाथोक गांव में अपनी पत्नी व दो छोटे बच्चों के साथ रहते हैं। एक हफ्ते पहले संजय  कोरोना संक्रमण की चपेट आ गए और निजी अस्पताल में मौत हो गई।


उसकी पत्नी जब रात करीब सात बजे अपने दो मासूम बच्चों के साथ मृत पति का शव लेकर अपने घर पहुंची तो मुहल्ले का कोई भी व्यक्ति उस अकेली और असहाय महिला के पति के अंतिम संस्कार में सहयोग करने के लिए तैयार नही हुआ। यही नही उसके मृत पति के शव को गाड़ी से उतारने में मदद के लिए तक कोई नही आया।
मजबूरन लाचार महिला ने अपने पति के शव को लेकर रात में तकरीबन 10 बजे अपने मायके खरगूपुर चली गई। मगर स्थिति वहाँ भी ऐसी ही निकली वहां भी किसी ने उसकी मदद करना मुनासिब नहीं समझा।
 आखिरकार बेचारी थक हार कर पुन: अपने पति का शव लेकर रात करीब ढाई बजे अपनी ससुराल पहुंची।
इसके बाद सुबह 10 बजे तक पूरे गांव के लोग अपने-अपने घरों मे चर्चा करते रहे। मगर कोई सामने नहीं आया। इटियाथोक के रहने वाले पूजाराम सोनकर और ओमप्रकाश सोनकर एडवोकेट ने बताया कि सूचना पाकर वे दोनो संजय के घर गए।

वहां उस असहाय महिला को देखकर हर संभव सहायता देने का आश्वासन देते हुए अंतिम संस्कार के लिए अर्थी को कांधा देने के तैयार हुए। चौथे व्यक्ति के रूप में ओम प्रकाश सोनकर एडवोकेट ने आगे आकर कांधा दिया। तब जाकर शव का अंतिम संस्कार किया जा सका।

उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिंदी संवाद 
उत्तर प्रदेश

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने