10 फरवरी को मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस:- सीएमओ


*जनपद के 17 लाख से अधिक बच्चों को मिलेगी पेट के कीड़ों से मुक्ति*

10 फरवरी से स्कूलों व आंगनवाड़ी केन्द्रों में खिलायी जाएगी पेट से कीड़े निकालने की दवा 

बहराइच  (ब्यूरो)कृमि यानि पेट के कीड़े मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्वों को खाते हैं। हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन अधिक मात्रा में संक्रमण की वजह से दस्त ,पेट में दर्द ,कमजोरी ,उल्टी व भूख न लगना, खून की कमी व कुपोषण जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पेट के इन कीड़ों (कृमि) को निकालने के लिए 10 फरवरी को बच्चों व किशोरों को एल्बेण्डाजोल टेबलेट खिलाई जाएगी। इस दिन दवा खाने से छूटे हुए बच्चों को 13 से 15 फरवरी तक मॉप अप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। 
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 10 फरवरी को मनाया जाएगा । इसकी पूरी तयारियाँ कर ली गयी हैं । इस दिन पेट से कीड़े निकालने की दवा एक से 19 वर्ष तक के 17,12420 बच्चों व किशोरों को खिलाई जाएंगी । इसके लिए स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूलों में तथा स्कूल न जाने वाले बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एल्बेण्डाजोल की टेबलेट खिलाने का आयोजन किया जाएगा। इसमें एविडेंस एक्शन संस्था का भी सहयोग लिया जाएगा । 
सुरक्षित है दवा –डीएचईआईओ बृजेश सिंह ने बताया कि एल्बेण्डाजोल टेबलेट बच्चों व व्यस्कों दोनों के लिए एक सुरक्षित दवाई है । इसका प्रयोग दुनिया भर में करोड़ों लोगों में पेट से कीड़े निकालने के लिए किया जाता है। उन्होने बताया दवा के बेहतर प्रभाव के लिए बड़े बच्चे भी गोली को चबाकर ही खाएं व आवश्यकतानुसार पानी पियें । बिना चूरा या चबाकर खायी गयी एल्बेण्डाजोल दवा का प्रभाव महत्वपूर्ण रूप से कम हो सकता है । 
दवा खाने के लाभ –
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला सलाहकार राकेश गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेण्डाजोल टेबलेट वर्ष में दो बार खिलाई जाती है । इस दवा के सेवन से बच्चों व किशोरों के स्वास्थ्य व पोषण स्तर में सुधार होता है । उनमें खून की कमी नहीं रहती व रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है । इस दवा के सेवन से जहां एक ओर बच्चों के सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है वहीं उनकी कक्षा में उपस्थिति बढ़ जाती है और व्यस्क होने पर उनके काम करने की क्षमता और आय में बढ़ोतरी होती है। 
ऐसे होता कृमि संक्रमण-
डीसीपीएम मो0 राशिद ने बताया कि संक्रमित बच्चे के शौच में कृमि के अंडे होते हैं । खुले में शौच करने से यह अंडे मिट्टी में मिल जाते हैं और विकसित होते हैं । इससे अन्य स्वस्थ बच्चे नंगे पैर चलने से इसके संपर्क में आ जाते हैं । इसके अलावा गंदे हाथों से खाना खाने या फिर बिना ढका हुआ भोजन खाने से भी वह कृमि के लार्वा के संपर्क आ जाते हैं ।   
कृमि संक्रमण से बचाव –नाखून साफ व छोटे रखें,खाने को ढ़क कर रखें,हमेशा साफ पानी पिए,सब्जियाँ व फल साफ पानी  से धुलें,नंगे पैर न चलें,खाना खाने से पहले व शौच के बाद हाथ साबुन पानी से धुलें,हमेशा शौचालय का प्रयोग करें l

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