शासन की गाइड लाइन- 24 घंटे की, स्वास्थ्य प्रशासन का दावा 48 से 72 घंटे का, लेकिन हकीकत में आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट पांच से आठ दिन में मिल रही है। राज्य के ज्यादातर जिलों में यही हालत है। कोरोना पीड़ितों के लिए प्रामाणिक जांच रिपोर्ट मानी जाने की वजह से इसका इंतजार करना पड़ता है और लोगों की जान पर बन आती है। अधिकतर हास्पिटल बगैर रिपोर्ट के भर्ती नहीं करते और देखते ही देखते सांसें उखड़ने लगती हैं। आक्सीजन लेवल गिरने की दुहाई देते रहें, कोई फर्क नहीं पड़ता।

वाराणसी जिले में इस समय रोजाना छह से सात हजार सैंपलिंग हो रही है। एक दिन में अधिक सैंपलिग होने के कारण लैब पर ज्यादा दबाव की बात कही जा रही है लेकिन वैकल्पिक प्रबंध पर कोई गौर नहीं कर रहा। ऐसे में उन मरीजों को ज्यादा समस्या हो रही है जिनमें शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं।24 घंटे में आनी चाहिए रिपोर्ट

शासन की गाइड लाइन के अनुसार कोरोना की रिपोर्ट 24 घंटे में आ जानी चाहिए। इसके तत्काल बाद संक्रमित का इलाज शुरू कर देना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लोग सैंपलिंग कराने के बाद भी धड़ल्ले से घूमते हैं।

3821 लोगों को रिपोर्ट का इंतजार

केवल वाराणसी जिले में अभी 3821 सैंपल की रिपोर्ट लंबित है। यहां बीएचयू और मंडलीय अस्पताल में जांच की जाती है। मंडलीय अस्पताल के लैब के कई कर्मचारी पॉजिटिव आ गए हैंं। सिर्फ दो लैब टेक्नीशियन और एक साइंटिस्ट ही दिन रात काम कर रहे हैं।

प्रयागराजः जांच के इंतजार में निकल जा रही जान

प्रयागराज में स्थिति यह है कि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट मिलने में चार दिन से अधिक का समय लग जा रहा है। ऐसे में गंभीर मरीज इलाज के अभाव में अस्पताल की चौखट पर दम तोड़ दे रहे हैं। कैंसर के बड़े केंद्रों में एक कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीज के पास आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं है तो उसे आइसोलेशन में रखकर इलाज शुरू कर दिया जाता है। प्राइवेट लैब में जांच के लिए पहले ऑनलाइन बुकिंग करानी पड़ती है। दो दिन में किट आती है और सैंपल लेने के दो दिन बाद रिपोर्ट मिलती है।

मुरादाबादः पीड़ित की बिगड़ जा रही तबीयत

आरटीपीसीआर की रिपोर्ट देरी से आने से पीड़ित की तबीयत बिगड़ जा रही है और नौबत मौत तक पहुंच जा रही है। फिलहाल रिपोर्ट आने में पांच से छह दिन तक लग रहे हैं। कई बार रिपोर्ट न आने तक मरीज कोई उपचार शुरू नहीं करते जिससे दिन गुजरने से संक्रमण और बढ़ जाता है। एसीएमओ डा. दिनेश प्रेमी का कहना है कि जांच की संख्या पहले से तीन से चार गुना हो जाने की वजह से आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आने में वक्त लग रहा है।

आगराः लेटलतीफी बिगाड़ रही मरीजों की हालत

आगरा में हर रोज 5 हजार से अधिक जांच हो रही हैं। इनमें तीन हजार आरटी-पीसीआर हैं। एसएन मेडिकल कालेज की लैब पर आगरा के अलावा चार अन्य जिलों का भार है। इनमें हाथरस, मैनपुरी, मथुरा और मुरादाबाद मंडल के सैंपल भी आते हैं। आगरा में तीन हजार जांच हो रही हैं। शेष दो हजार बाहरी जिलों की हैं। लैब पर अधिक भार होने से जांच रिपोर्ट में अब तीन से चार दिन लग रहे हैं। तब तक मरीजों की हालत खराब हो रही है। लिहाजा वे देर से अस्पताल पहुंचते हैं।

मेरठ-सहारनपुरः पांच से सात दिन करो इंतजार

मेरठ-सहारनपुर मंडल के जिलों में आरटीपीसीआर रिपोर्ट आने में 5-7 दिन का समय लग रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि सैम्पल अधिक होने से रिपोर्ट आने में समय लग रहा है। अफसर कुछ भी कहें लेकिन अस्पतालों की मनमानी हावी है। बिजनौर में फिलहाल किट खत्म होने से जांच का काम ही रुका हुआ है।

बरेली : सात दिन तक अटकी रहती है जान

बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत में आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट मिलने में 5 से 7 दिन का समय लग रहा है। इसकी बड़ी वजह स्टाफ और संसाधनों की कमी है। बरेली में रोजाना 1600 सैम्पल में 1000 की रिपोर्ट आ रही है। बदायूं मेडिकल कालेज की बीएसएल-2 लैब केवल एक दिन में 1500 लोगों की ही जांच हो पाती है। स्टाफ पहले से ही कम थे और कुछ संक्रमित हो गए हैं। इसलिए 1000 रिपोर्ट मुश्किल से आ पाती है। पीलीभीत के नोडल अधिकारी डा. सीएम चतुर्वेदी ने बताया कि 48 घंटे में रिपोर्ट आनी चाहिए लेकिन लेट हो रही है।

लोड ज्यादा है...

इस समय लैब पर अधिक लोड है। यहां पर कई जिले से सैंपल आ रहे हैं। ज्यादा लोड के कारण रिपोर्ट में देरी हो रही है। फिर भी हम लोग कोशिश करते हैं कि एंटीजेन टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर मरीज का इलाज शुरू करा दिया जाए।

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