*"न मैं गिरा,और न मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे..!*
*पर.. लोग मुझे गिराने मे कई बार गिरे...!!"*
*सवाल जहर का नहीं था*
*वो तो मैं पी गया,*
*तकलीफ लोगों को तब हुई,*
*जब मैं फिर भी जी गया.*
*जब कोई “हाथ” और “साथ”*
*दोनों ही छोड़ देता है,*
*तब “कुदरत” कोई न कोई*
*उंगली पकड़ने वाला भेज देती है,*
*इसी का नाम “जिदंगी” है...!!*
*मुस्कुरा कर चलते रहिए..!!*
*ख्वाहिशों* से नहीं गिरते हैं,
फूल झोली में,
*कर्म* की शाख को हिलाना होगा।
कुछ नहीं होगा
कोसने से *अँधेरे* को,
अपने हिस्से का *दीया* खुद ही
जलाना होगा ।"
https://www.youtube.com/channel/UCCqUFVFabDhttngUwalwSYg ..
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