पुलिस का दावा था कि कहीं हुक्का बार नहीं चल रहा है, लेकिन एक के बाद एक मामले पकड़े जाने पर यह साफ हो गया है कि कई हुक्का बार चोरी छिपे चल रहे थे। यह भी एक-दो दिन से नहीं बल्कि काफी समय से। यह अलग बात थी कि पुलिस कहती है कि उसे पता नहीं था, लेकिन जिस तरह ये हुक्का बार संचालित हो रहे थे, इसकी भनक न लगना निश्चित तौर पर पुलिस की सक्रियता पर सवाल भी उठाते हैं। 

सिविल लाइंस से हुई शुरूआत

सबसे पहले हुक्का बार पकड़े जाने का मामला सिविल लाइंस से शुरू हुआ। यहां एक होटल में दबिश दी गई। यहां नशे का सामान बरामद किया गया। होटल मालिक से लेकर मैनेजर तक पकड़े गए। इस हुक्का बार को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था। आला अफसरों तक इसकी शिकायत पहुंची थी, जिस पर गोपनीय तरीके से दबिश देकर गिरफ्तारी की गई। इसके बाद यहां एक और हुक्का बार पकड़ा गया। पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी शहर में भले ही इस पर अंकुश लग गया हो, लेकिन नैनी इलाके में कॉफी हाउस की आड़ में जिस तरह हुक्का बार पकड़ा गया, वह बेहद चौंकाने वाला है। 

पुलिस के मुखबिर छोटी से छोटी सूचनाएं पहुंचाने का काम करते हैं। हालांकि हुक्का बार के मामले में मुखबिर भी कहीं न कहीं फेल होते नजर आए हैं। एक भी हुक्का बार चलने की सूचना वे पुलिस को नहीं दे सके। इसके पीछे क्या वजह थी, यह तो पता नहीं, लेकिन यह तय है कि पुलिस के मुखबिर इस मामले में असफल रहे।

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